राजा कुँआ

गरमी के दिनों में
जब इस गाँव के सारे कुँए सूख जाते हैं
तब भी बचा रहता है्
यहाँ एक कुँआ
राजा कुँआ।

वही जो मेहत्तरु के घर आँगन में
आम के पेड़ के बाजू
कब से है
किसी को पता नहीं

रजिया
दुकलहिन
ईश्वरी
मारिया
-कितने लोग हाथों में बाल्टियाँ और गुंडियाँ लिये
चले-चल पड़ते हैं।
वे जाते हुए आपस में
दुआ-सलाम करते जाते हैं।

पानी लेकर लौटते हुए
पसीने से तरबतर
वे सभी खुश दिखते हैं।

इस गाँव की यही खासियत है
राजा कुँआ है
और पानी मीठा।
सभी पीते हैं
राजा कुँआ का मीठा पानी।

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