दूध गंध

नदियाँ अपने बिस्तरों पर पड़ी रहीं
मैंने जगाया नहीं उन्हें।

उन की आँखों में
मैंने नहीं देखा
दूध-घी

केवल खोलता हुआ लहू था

दूध गंध
फिर किधर से आई ?

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