चींटियाँ

हम कब तक अलग-अलग रहेंगे
चींटियाँ
जो दुनियाँ की
सबसे छोटी जंतु हैं-

वे कतारों में चलती हैं
संगठित रहती हैं
बिना धीरज खोए
अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती हैं
चींटियाँ
हमें काटती हैं कभी -कभी
पर हम उन्हें मारते नहीं
हम उन्हें शरीर से निकालकर
धरती पर छोड़ देते हैं
और वे प्रसन्न होकर फिर चल पड़ती हैं
अपने रस्ते

चींटियाँ
मुश्किलों और तूफानों से नहीं डरतीं
वे पहाड़ों पर भी चढ़ जाती हैं
बेधड़क

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