फिर कोई चिता जली है
इस गाँव के नदी के किनारे
आज फिर कोई चिता जली है
फिर कोई भूख से मर गया होगा
या फिर
आगजनी हुई होगी
या हत्या
या बलात्कार
बीमार तो कोई नहीं था फिलहाल
क्यों जलती है यहाँ रोज
कोई न कोई चिता
कौन बोता है यहाँ
नफ़रत के बीज
किसकी करतूत है यह सब
कोई तो बताए
रोज
कोई-न-कोई आफत
कोई नहीं जानता
मारने वाला किधर से आता है
कहाँ जाता है
किस घर में छुपा है पापी़
हत्यारा
कोटवार
रोज दर्ज करता है
मरने वालों के नाम
अपनी डायरी में
मारन वाले का उसे
कुछ पता नहीं।
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