तुममे से जब-जब आग झरे
उन्हें सँभाले कर रखना
(पर उसे कहाँ रखोगे
यह एक समस्या है)
उन्हें जहाँ भी रखोगे
वहाँ आग लग जाएगी।
उसे झरने से रोको
पचा डालो
भीतर ही भीतर।
वे जब भी निकलेंगे
ज्वालामुखी होंगे ।
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(वरिष्ठ कवि भगतसिंह सोनी की कविता)
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