मीठा बाबूजी
हं अ
14 पइसे
नइ, सिंगल मीठा लगाओ
अच्छा बाबूजी
सुर्ती बाबूजी
नइ
बीड़ी तमाखू बाबूजी
नइ, सिरिफ मसाला-चमनबहार
ये तो गर्भवती पान है बाबू बाबूजी
(धत् बीबी गर्भवती है उफ् !)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
(वरिष्ठ कवि भगतसिंह सोनी की कविता)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें