गहराई


सन्नाटे में गुँथा हुआ है
एक कुआँ मन
कोई एक पत्थर शोर का मारता है
बुलबुले की जगह
बाहर आता है वही परिचित चेहरा।
किनारे होंठो से बँधी हुई
एक सूखी झील है।
सन्नाटे में सना हुआ है चेहरा
पहचान के लिए लोग अपने साथ
चेहरा भर उत्साह लाये हैं।

कहीं कुछ कहने के पहले
अपने-अपने कुएँ की गहराई नापें।

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