मेरी कविताएँ
(वरिष्ठ कवि भगतसिंह सोनी की कविता)
अँधियारे से बाहर
कमल हमेशा कीचड़ में खिलते हैं
कोयले के गर्भ से निकलते हैं
हीरे
अँधियारे से से निकलता है
चाँद ।
देखते रहना
मैं इसी तरह निकलूंगा
इस अँधियारे से बाहर।
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भगत सिंह सोनी
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